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हमें याद है / कुमार रवींद्र
Kavita Kosh से
यह घटना है बहुत पुरानी
हमें याद है
तुम बैठीं थीं उधर मेज के
तभी अचानक
हम दोनों का हाथ छुआ था
पता नही क्या हुआ
कि उसके बाद
सभी कुछ नया हुआ था
और बनी थी
सुनो, छुवन की तभी कहानी
हमें याद है
वर्षों बीते उस घटना को
किन्तु आज भी
वही छुवन ज़िंदा है भीतर
रच जाती है गीत देह के
उसी छुवन की
खुशबू आकर
रही छुवन वह
जन्मों-जन्मों की सहिदानी
हमें याद है
अब बी रोज़ वही करते हम
उसी छुवन को
हर पल जीते
घटना वह
इतिहास हो गयी
छुवन अभी भी मीठी, मीते
साथ जियेंगे
हम दोनों ने यह थी ठानी
हमें याद है