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हम / नवनीत पाण्डे
Kavita Kosh से
आंखों की जगह आंखें हैं
फ़िर भी अंधे हैं
हाथों की जगह हाथ है
फ़िर भी लूले हैं
पांवों की जगह पांव है
फ़िर भी लंगड़े हैं
दिमाग की जगह दिमाग है
फ़िर भी पागल हैं
हम
समय के सबसे बड़े सच हैं
फ़िर भी झूठे हैं