हम यहीं रहेंगे / अमरजीत कौंके
हम यहीं रहेंगे सदा
यह पृथ्वी हमारी है
यह मिट्टी हमारी है
हमने इस पृथ्वी को सींचा
इसे जोता
इसे आबाद किया है
यह पृथ्वी हमारी है
हमने इसकी मिट्टी को
ख़ून से सींचा है
यह खिले हुए फूल
लहलहाती फसलें
हमारे ख़ून और पसीने का बदल हैं
इस पृथ्वी की ख़ूबसूरती के लिए
हम ऋतुओं से झगड़े
हम तूफ़ानों से जूझे
हम सलीबों को कँधों पर उठा कर
मक्तल तक गए
हमने ज़हर के प्याले पिए
भर-भर कर
हम देग़ों में उबले
हथेलियों पर शीश रखकर
लड़ते रहे हैं हम
इसके तिनके-तिनके में हम हैं
इसके कण-कण में हमारा ख़ून है
हमने जीवित रहते
इस मिट्टी में फूल उगाए
हम मर कर भी
इस मिट्टी में
फूल बन कर खिलेंगे
क्योंकि
यह पृथ्वी हमारी है
यह मिट्टी हमारी है
हम यहीं रहेंगे सदा ।
मूल पंजाबी से हिंदी में रूपांतर : स्वयं कवि द्वारा