भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हरेक बात गौर कर / गिरधारी सिंह गहलोत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हरेक बात गौर कर सुनीति से विचार कर
स्वयं की दुष्प्रवृत्ति पर स्वयं प्रथम प्रहार कर
   
असीम दुख,प्रताड़ना, अशेष यातना भुगत
भिड़ा रहा है रात दिन, दो जून चून की जुगत
लिए हुए तृषित अधर, जुगाड़ में जो नीर की
फटे वसन बता रहे, व्यथा अनंत पीर की
नहीं दिखा सहार दे, कोई व्यथा से तार दे
नहीं किसी गरीब को अनीति का शिकार कर
स्वयं की दुष्प्रवृत्ति पर स्वयं प्रथम प्रहार कर
     
विलासिता प्रधान आज जिंदगी बदल रही
दहेज़ सम अभी प्रथा समाज में है चल रही
नये चलन नये असर नये विधान कर सृजित
विक्षिप्त हो रहे युवा नशे की आग में ग्रसित
विनाश ले अनेक रूप डस रहा है नाग सा
मनुष्य के विकास हित कुरीति में सुधार कर
स्वयं की दुष्प्रवृत्ति पर स्वयं प्रथम प्रहार कर
   
हरेक बात गौर कर सुनीति से विचार कर
स्वयं की दुष्प्रवृत्ति पर स्वयं प्रथम प्रहार कर