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हवन का गीत / भील

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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कहाँ से लाउँ राम जी, काहाँ से लाउँ लछमण॥
काहाँ से लाउँ हनुमान, लंको को बाण पछो फिर जाय॥
गाड़ी ती लाउँ राम को, गोदी से लाउँ लछमण॥
उड़ी न तो आवे हनुमान, लंका को बाण पछो फिर जाय॥
काहाँ उतारूँ राम, काहाँ उतारूँ लछमण,
काहाँ उतारूँ हनुमान, लंका को बाण पछो फिर जाय॥
ओटला प उतारूँ राम, न पाळना प उतारूँ लछमण॥
मंदिर म उतारूँ हनुमान, लंका को बाण पछो फिरि जाय॥
काय न्हवाडूं राम काय न्हवाडूं लछमण,
काय ति न्हवाडूं हनुमान, लंका को बाण पछो फिरि जाय॥
जळ से न्हवाड़ूं राम, गंगा जळ से लछमण॥
जमना जळ से न्हवाडू़ं हुनमान, लंका को बाण पछो फिरि जाय॥
काय पेराउं राम, काय पेराऊं लछमण॥
काय तो पेराउँ हनुमान, लंका को बाण पछो फिरि जाय॥
धोती पेराउँ राम कुरतो पेराउँ लछमण,
लाल लंगोटो पेराऊँ हनुमान, लंका को बाण पछो फिरि जाय॥
काय जिमाड़ूं राम, काई जिमाडूं़ लछमण॥
काय तो जिमाडू़ं हनुमान, लंका को बाण पछो फिरि जाय॥
खीर जिमाडूं़ राम, पूड़ी जिमाडू़ं लछमण॥
तेल तो चढ़ाउं रे हनुमान, लंका को बाण पछो फिरि जाय॥
काय कवाए रामजी, काय कवाए लछमण॥
काय तो करवाए हनुमान, लंका को बाण पछो फिरि जाय॥
पती कवाए राम, पुत्र कवाए लछमण॥
खेड़ापति तो कवाए हनुमान, लंका को बाण पछो फिरि जाय॥

-किससे राम को लाऊँ, किससे लक्ष्मणजी को लाऊँ और किस सवारी से हुनमान
को लाऊँ? श्रीराम को गाड़ी में बिठाकर लाऊँ और लक्ष्मणजी को गोद में उठाकर
लाऊँ, हनुमान जी तो उड़कर आयेंगे।

श्रीरामजी, लक्ष्मणजी तथा हनुमानजी को कहाँ उतारूँ? ओटले पर श्रीराम को, पालने
पर लक्ष्मणजी को और मन्दिर में हनुमानजी को उतारूँ।

श्रीराम, लक्ष्मणजी तथा हनुमानजी को किससे स्नान करवाऊँ? श्रीराम को जल से,
गंगाजल से लक्ष्मणजी को और यमुनाजी के जल से हनुमानजी को स्नान करवाऊँ।

श्रीराम, लक्ष्मणजी तथा हुनमानजी को क्या पहनाऊँ? श्रीरामजी को धोती, लक्ष्मणजी
को कुर्ता और हनुमानजी को लाल लंगोटा पहनाऊँ।

श्रीराम, लक्ष्मणजी तथा हनुमानजी को क्या जिमाऊँ? श्रीराम को खीर, श्री लक्ष्मणजी
को पूरी जिमाऊँ और हुनमानजी को तेल चढ़ाऊँ।

श्रीराम, लक्ष्मण तथा हनुमानजी क्या कहे जाते हैं? श्रीराम पति, श्रीलक्ष्मणजी पुत्र और
हनुमानजी खेड़ापति कहलाते हैं। लंका का बाण वापस फिर जाय।