Last modified on 21 अगस्त 2009, at 12:02

हवाई जहाज़ / शमशाद इलाही अंसारी

हवाई जहाज़ जब
हमारे गाँव के ऊपर से
तेज़ी से निकल जाता है
तब कुछ यूँ घटता है
जैसे तालाब में कंकर फ़ेकने पर
भंग होती है पानी की शांत मुद्रा।

जैसे लहरें दौड़ पड़ती हैं
इस छोर से उस छोर तक
ठीक वैसे ही
दौड़ पड़ते हैं बालक
अपनी-अपनी झोपडियों से
उल्लासित, अठखेलियाँ करते

अकस्मात ऊंगलियाँ गाड़ देते हैं
आकाश के एक कोने में
चीख़ते, तुतलाते, अट्टहास करते
दूर गये जहाज़ की पूँछ देख कर
...? हो जाते हैं।

साथ ही उड़ जाते हैं पेडों से पंछी
बिदक जाते हैं मवेशी
भौंकने लगते हैं कुत्ते
हथेलियाँ छाता बन जाती हैं

बूढ़ी आँखों की
मुँह उठ जाते हैं ऊपर
हवाई जहाज़ जब
हमारे गाँव के ऊपर से
तेज़ी से निकल जाता है.


रचनाकाल : 15.02.1989