हाँ, मैं तुम्हारा बच्चा हूँ / रुस्तम
जो बच्चा मेरे भीतर है
उसे प्रकट कर दो। एक-एक कर खोल दो मेरी सारी
पत्तियाँ।
तुम नदी को जाती हो, मैं तुम्हारे पीछे-पीछे आता हूँ, मेरे
नन्हें पाँव बिन्ध जाते हैं काँटों से, तुम चुन लेती हो उन्हें
भीगे चुम्बनों से।
अभी-अभी कटी गेहूँ के रूखे खेतों में मैं घूमता हूँ तुम्हारे
पीछे, यहाँ-वहाँ छिटकी बालियों को बीनने में तुम्हारी मदद
करते हुए।
क्या ये तुम्हारी आँखें हैं, माँ? क्यों आँसू उमड़ रहे हैं इनमें?
बार-बार क्यों भींच रही हो मुझे तुम अपनी छातियों से?
लिली के सफ़ेद फूल मैं लाया हूँ तुम्हारे लिए, मैं पुकार
रहा हूँ तुम्हें, तुम खोलती नहीं द्वार।
हाँ, मैं तुम्हारा बच्चा हूँ, और तुम लौट रही हो सूखी ज्वार
का गट्ठर सिर पर उठाए।
मेरी रातें बीतती हैं तुम्हारी त्वचा की भीनी सुगन्ध में।