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हाँ, हाँ, हाथी ! / प्रमोद कुमार
Kavita Kosh से
हाथी, हाथी !
हाथी को पास से देखने-समझने का उत्साह,
उमंग में बच्चे चारों ओर उछलते-कूदते,
हाथी को छू लेते बूढ़े
बोलने लगते बच्चों-सा,
एक दिन एक भविष्य-वक्ता
गम्भीर मुद्रा में
घुस आया इलाके में
और डॉंटते हुए बोला-नो !
नो, नो ! हाथी नहीं, एलिफैंट देखो,
बच्चों के पास हाथी थे
लेकिन उन्हें देखना पड़ा एलिफैंट,
बच्चे खड़े हो गए भविष्य की मुद्रा में,
बूढ़ों का बचपन सो गया
पेट बॉंधकर,
वहाँ से हाथी निकल भागा तेज़ी से,
तब से
वहाँ एलिफैंट बार-बार गुज़रा
लेकिन, उन बच्चों के जीवन में
हाथी कभी नहीं आया ।