हाँ जुदाई से डरता है दिल
मौत से तो मैं डरती नहीं
और डरती तो सुन ले सनम
प्यार तुझसे मैं करती नहीं
एक अरमान इस पार है, एक अरमान उस पार है
हमने खुद ही बनाई थी जो, रास्ते में वो दीवार है
एक ख़ुशी दिल ने क्या मांग ली, हर ख़ुशी को नज़र लग गयी
ज़िन्दगी जब करीब आई तो, ज़िन्दगी को नज़र लग गयी
अब तमन्ना हो दिल में कोई, मैं तमन्ना भी करती नहीं
मन से मन का है बंधन अगर
तन मिले न मिले कुछ नहीं
मन का चंदन महकता रहे
मन ही सब कुछ है तन कुछ नहीं
आसमानों में सो जाएगा, दास्तानों में खो जाएगा
तन किसी रोज़ बनके धुआं, इन का हो जाएगा
प्यार रहता है ज़िन्दा सदा, आत्मा है ये मरती नहीं
हाँ जुदाई से डरता है दिल
मौत से तो मैं डरती नहीं
और डरती तो सुन ले सनम
प्यार तुझसे मैं करती नहीं
हाँ जुदाई से डरता है दिल
मौत से तो मैं डरता नहीं
और डरता तो सुन ले सनम
प्यार तुझसे मैं करता नहीं
मैं अकेला न रह पाउँगा, दूर तक रात ही रात है
ज़िन्दगी एक अलग चीज़ है, जिंदा रहना अलग बात है
उम्र कैसे गुज़र पाएगी, एक पल जब गुज़रता नहीं
हाँ जुदाई से डरता है दिल...
गम का मौसम गुज़रता नहीं, ज़ख्म यादों का भरता नहीं
रात परबत है कटती नहीं, दिन है दरिया उतरता नहीं
मेरी नींदों में आ जाएगी, धुप सूरज का खंजर लिए
तोड़ने मेरा दिल आएगा, चाँद हाथों में पत्थर लिए
दिल डराता है मुझको मगर, मैं यकीन दिल पे करता नहीं
हाँ जुदाई से डरता है दिल
मौत से तो मैं डरता नहीं
और डरता तो सुन ले सनम
प्यार तुझसे मैं करता नहीं
यह गीत राहत इन्दौरी ने फ़िल्म 'करीब' (1998) के लिए लिखा था ।