भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हाइकु 19 / लक्ष्मीनारायण रंगा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ओ दरपण
देखावै सै नैं चै‘रा
समभावी है


मरता जावै
मीठा मधरा गीत
डी.जे. धुनां


पीवै बिरखा
अे ऊंचा-लूंठा वट
तिरसी घास ?