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हाइकु 22 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
आज गरूड़
बंधोड़ा नागपास
छोडावै कुण
पोथीखानां तो
उडीकै पाठकां नै
रोवै किताबां
मन-मिरगा
कठै ढूंढै कस्तुरी?
अंतस छाण