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हाइकु 24 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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पाणी है प्राण
पण हुयसी जुध
पाणी नैं लेय‘र
जे देखै आंख
अंधारे में भी हुवै
अेक उजास
ऊंचा भवन
ओढ लै सै उजाळा
हेठै अंधारा