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हाइकु 30 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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बा‘रै घणाई
थाप दिया मिन्दर
मन में थाप


ठंडी चांदणी
सूरज सूं मांगोड़ी
थोड़ी सी धूप


महाज्ञान हां
मार रैया कन्यावां
खुद रै हाथां