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हाइकु 42 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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बिसरा दै सै
राग-रागणियां थूं
गा दरबारी


कै‘वै है चिड़ी
‘‘छोडणा है घूंसला
मनैं‘र थनैं’’


जिंदगी म्हारी
कांटां बिंधी हथाळी
कसकै घणी