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हाइकु 4 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
छावै सौरम
आय जावै जणै थूं
यादां झरोखै
साच बोलणो
अपराध करणो,
झूठ नै पूज
उण आंगळ्यां
चिकै रिगत, जिकी
गूंथै माळावां