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हाइकु 73 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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जळसा घर
मन भर घूम थूं
गुमजै मती
फेरती रै‘वै
म्हारै माथै हाथ मा
मरयां पछै भी
पाणी सूं बर्फ
पाछी पिछळ पाणी
है पुनर्जन्म