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हायकु में हम्में / सुप्रिया सिंह 'वीणा'
Kavita Kosh से
हम्मीं छेकियै
सुप्रिया सिंह वीणा
भाव प्रवीणा।
बाबा सें पैलां
कविता रोॅ संस्कार
कृपा अपार।
साहित्य छेलै
बाबा के जान-प्राण
बौंसी के मान।
जन्म लेलियै
मधुसूदन ड्योढ़ी
बगडुम्मा में।
प्रेरणा स्त्रोत
श्याम प्रसाद सिंह
बाबा हमरोॅ।
बाप अशोक
माय मालती, पति
नर्मदेश्वर।
मिलै हमरा
सभ्भे रोॅ सहयोग
धन्य छी हम्मे
बौंसी रोॅ मांटी
संसारोॅ में हमरा
सबसे प्यारोॅ।
गुड़ोॅ से मिट्ठोॅ
नैहरा रोॅ संदेश
माय रोॅ देश।
बौंसी राॅे कवि
‘प्रणमोहन प्राण’
गुरू समान।
बूढ़ोॅ थर्थर
तहियोॅ मरै छै ‘प्राण’
कविता पर।
बसै आनन्द
शंकर माघवन
मंदारोॅ पर।
खोजी थकलां
नैहरा रोॅ ऐंगना
काहीं नै पैलां।
माय-दादी तेॅ
संझवाती इंजोर
कानै छै लोर।