भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हेलीकॉप्टर / बालस्वरूप राही
Kavita Kosh से
वायुयान के पंखे आगे,
इस का पंखा है ऊपर।
दौड़ लगाए बिन उद जाता
फुर्ती से हेलीकॉप्टर।
चारों ओर घिरे हों पर्वत
फिर भी उड़ता फर फर फर,
चाहे जहां उतार लो,
इसे न लगता कोई डर।