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हे पुण्यभूमि ! वन्दे / विमल राजस्थानी
Kavita Kosh से
हे ऋषि-मुनियों की धर्म-भूमि !
शूरों-वीरों की कर्म-भूमि !
भवभूति-व्यास की मर्म-भूमि !
हे धर्मभूमि ! वन्दे
हे कर्म-भूमि! वन्दे
हे मर्म-भूमि ! वन्दे
जीवन की प्रथम लहर तुम हो
सत्पथ की अमर डगर तुम हो
‘मधु-ऋचा-ज्ञान’ की अमृत किरण
देवों की भूमि अमर तुम हो
हे अमरभूमि ! वन्दे
हे समर-भूमि ! वन्दे
हम तेरे पुत्र निराले हैं
तेजस्वी, हिम्मत वाले हैं
मिट्टी से सोना उपजायें
रेतों में गंगा लहरायें
हे जमुन-गंग ! वन्दे
हिम-शैल-श्रृंग ! वन्दे
हम शांति-सुधा बरसायेंगे
दुनिया से द्वेष हटायेंगे
हिंसा का नाम मिटायेंगे
भूतल को स्वर्ग बनायेंगे
हे स्वर्ग-भूमि ! वन्दे
अपवर्ग-भूमि ! वन्दे
हे धर्मभूमि ! वन्दे
हे कर्म-भूमि! वन्दे
हे मर्म-भूमि ! वन्दे