भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के / हरियाणवी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के।
ताऊ भी रहसा बाबा भी रहसा,
रहसा सब परिवार मेरे ललना का,
हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के।
जीजा जी रहसा मामा भी रहसा,
रहसा सब परिवार मेरे ललना का,
हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के।
बूआ लाई उसका कुर्ता टोपी,
फूफा लाया गलहार मेरे ललना का,
हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के।
मामी तो लाई उसका घोड़ा डोला,
मामा लाया जोड़े साथ मेरे ललना के,
हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के।
नाना आये उस पै मोहरें बारीं,
नानी ने भेजी मोती माल मेरे ललना की,
हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के।