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होगा कोई / महेन्द्र भटनागर

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एक आदमी / झुका-झुका / निराश

दर्द से कराहता हुआ
तबाह ज़िन्दगी लिए
गुज़र गया।

एक आदमी / झुका-झुका / हताश
चोट से लहूलुहान
चीखता हुआ / पनाह माँगता / अभी-अभी
गुज़र गया।