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होने से बेहतर कुछ भी नहीं / विष्णु नागर
Kavita Kosh से
एक दिन
मैंने पाया
मनुष्य होने से बेहतर कुछ नहीं
हूंगा मैं
औरों से बहुत-बहुत बुरा
हूंगा अपने वुगत से भी बुरा
फिर भी
मनुष्य होने से तो बेहतर कुछ भी नहीं
ताकतवर मारेगा
तो मैं भागूंगा
चूहे की तरह
फिर झपटूंगा
कुत्ते की तरह
एक दिन मैं कहूंगा
होने से बेहतर कुछ भी नहीं ।