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होली है / सुरेश विमल
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होली है, भई होली है
रंग रंगीली होली है।
रामू श्यामू बस्ती में
टोली लेकर मस्ती में
चले फोड़ते गुब्बारे
उड़े रंग के फव्वारे।
गली-गली हुड़दंग शरारत
मस्ती और ठिठोली है।
कंजूसी छोड़ी नत्थू ने
मनहूसी तोड़ी फत्तू ने
दोनों रंग नहाए हैं
भंग जरा-सी खाए हैं।
जोजफ ने लाने मिठाइयाँ
गुल्लक अपनी खोली है
चंग बजाता है झुनझुनिया
लगे झूमती सारी दुनिया
ढप्प ढप्प ढप ढफ बोले
प्रेम प्रीत के सुर खोले।
मीठी सब की बोली है
जैसे मिश्री घोली है।