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हो गइले दीवाना / रमाकांत द्विवेदी 'रमता'
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सुरजवा के कारण छैला हो गइले दीवाना
खद्दर पहिर के धइले भेस फकिराना
लाठी सहे, हण्टर सहे, लाख-लाख गाली सहे
पुलिस-दारोगा के सहेले तीखे ताना
देखि के जुलुम बैमान अंगरेजवन के
बागी बन के गावेलें आजादी के तराना
चेत-चेत भारत के भाई हो-बहिनिया हो
तोड़ ई हुकूमत सुंदर आइल बा जमाना
कहे रमाकांत राज होई पंचाइत के
जरि जइहें आग में कचहरी अवरू थाना
रचनाकाल : 19.01.1942