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हौले हौले बहले ऐलै / अनिल कुमार झा
Kavita Kosh से
					
										
					
					पुरबैया संग मिलन आस भी हौले हौले बहले ऐलै,
हम्में कहभौं सभैं सदाय सें मिली जुली के कहले ऐलै।
भोर भोर के देखी सपना                                              							
दिने चुनी ने ऐलै आय                                               							
सभे करम सें साथ निभैने                                        							
कहै आबे बिलमांबे नाय
दरद, गरम के दोमलो सभ्भेॅ फेनूं फेनूं सहले ऐलै,
पुरवैया संग मिलन आस भी हौले हौले बहले ऐलै।
नदी किनारी आम टिकोला                                         						
झपटैया बच्चा मारै छै
गाय डिकरले बकरी में में
नीरा खिजूर उतारै छै
धीरे धीरे सहमी सहमी के बोली हकलैले ऐलै,
पुरवैया संग मिलन आस भी हौले हौले बहले ऐलै।
	
	