भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
‘क’ और ‘ख’ / नागराज मंजुले / टीकम शेखावत
Kavita Kosh से
(क)
इश्तिहार में देने के लिए
खो गए व्यक्ति के
घर पर
नहीं होती
एक भी ढंग की तस्वीर.
(ख)
जिनके
घर पर
एक भी
ढंग की तस्वीर नहीं होती
ऐसे ही लोग
अक्सर खो जाते हैं..!
मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत