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201 / हीर / वारिस शाह
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दुर्रे<ref>कोड़े</ref> शरह दे मार उधेड देसां करां उमर खिताब दा नयां हीरे
घत कखां दे बिन मैं साड़ सुटां तैनूं वेखसी पिंड गरां हीरे
अखीं मीट के वकत लघा मोईए एह जोबना बदलां छां हीरे
खेड़े करीं कबूल जे खैर चाहवें छड चाक रंझेटे दा नां हीरे
वारस शाह हुण आसरा रब्ब दा ए जदों विटरे<ref>नाराज</ref> बाप ते मां हीरे
शब्दार्थ
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