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332 / हीर / वारिस शाह
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अदल बिना सरकार है रूख अलफ रन्न गधो उह वफादार नाहीं
नाज बिना है कचनी बाझ जिहा मरद गधा है अकल दा यार नाहीं
सबर जिकर इबादतां बाझ जोगी दमां बाझ जीवन दरकार नाहीं
शरम बाझ मुछां बिना अमल दाढ़ी तलख बाझ फौजां भरमार नाहीं
अकल बाझ वजीर सलवात मोमन ते दीवान हिसाब शुमार नाहीं
वारस रन्न फकीर तलवार घोड़ा चारे थोक एह किसे दे यार नाहीं
शब्दार्थ
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