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501 / हीर / वारिस शाह

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राह जांदड़ी झोटे ने ढाह लई साहन थल एथल के मारियां नी
हबों हबो व गायके भन्न चूढ़ा पाट सुटियां चुन्नियां सारियां नी
डाढा माढ़यां नूं ढाह मार करदे अन्न जोरावरां अगे हारियां नी
नस चली सां ओंस नूं वेखके मैं जिवें वरां तों जान कवारियां नी
सीना भन्न के भनयो सू पासयां नूं दोहां सिंगां उते उस चाढ़ियां नी
मेरे करम सन आन मलंग मिलयां जिस जीवंदी पिंड विच वाड़ियां नी
वारस शाह मियां गल नवी सुनी हेड़ी<ref>काली</ref> हरत मैं ततड़ी दहाडियां<ref>दहाड़ना</ref> नी

शब्दार्थ
<references/>