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538 / हीर / वारिस शाह

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सहती आखदी बाबला जाह आपे सैदा आप नूं वडा सदांवदा ए
नाल किबर<ref>घमंड</ref> हंकार दे मसत फिरदा नजर तले ना किसे नूं लयांवदा ए
सांहे वांगरां सिरी फिहांवदा ए अगों आकड़ां पया वखांवदा ए
जा के नाल फकीर दे करे आकड़ गुसे गजब नूं पया वधांवदा ए
मार नूंह दे दुख हैरान कीता अजू घोड़ी ते चढ़के धांवदा ए
यारो उमर सारी जटी ना लधी रहया सोहनी ढूंढ़ ढूंढ़ावदा ए
वारस शाह जवानी विच मसत रहया वकत गए ताईं पछोतांवदा ए

शब्दार्थ
<references/>