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567 / हीर / वारिस शाह
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हीर खोह खेड़े चले वाहो दाही रांझा रहया मुंह कज हैरान यारो
उजड़ जाए कि निघरे गरक होवेवेहल दए ना जिमी असमान यारो
खेप मारिए खेतड़ी सणें बोहल हक अमलियां दे रूड़हे जान यारो
डेरां वेख के मीर शिकार रोवन हथो जिन्हां दिओं बाज उडजान यारो
उन्हां होश ते अकल रहिंदी सिरीं जिनहांद पैन व दान यारो
हीर लाह के घुंड हैरान होई सती चिखा दे विच मैदान यारो
तिख दिदड़ा वांग महांसती<ref>बदकार हस्ती</ref> दे मल खड़ी सी इशक मैदान यारो
चुप मिसल है बोलनों रही जटी दिनां रूह दे जिवे इनसान यारो
विच ओढने सहम दे नाल छपी जिवे विच किरबान कमान यारो
वारस शाह दोवें परेशान होए जिवे फड़े लाहौल शैतान यारो
शब्दार्थ
<references/>