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त्रासदी / सुषमा गुप्ता
Kavita Kosh से
उसने कहा मुझे- तुम पर भरोसा है।
मैं मुस्कुराई
यानी उसे हर बात पर संशय था।
शब्द कुछ नहीं कहते
उनकी ध्वनि कहती है
जब भी किसी से मिलो
तो उसके शब्दों पर ध्यान मत देना,
ध्वनि पर देना।
एतबार की नाव में छेद होते हैं
छेद खुलने का समय
पानी का स्वभाव तय करता है।
खारा है या मीठा
कठपुतली का खेल
ताली बजाने की चीज़ नहीं है
वह एक त्रासदी है
जब आपकी डोर
किसी और के हाथ हो
और तुम किस बात से सदमे में हो!
दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं बचा
जो पहले हो न चुका हो
बात बस इतनी- सी है
तुम्हारा नंबर ज़रा देर से आया।
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