भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सर-नियाज़ तेरे दर पे हम झुका के चले / लाल चंद प्रार्थी 'चाँद' कुल्लुवी