भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

२१-आइ ब्रज-पथ रथ ऊधौ कौं चढ़ाइ कान्ह / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’