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मेघ साँवरे / कृष्णा वर्मा

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1
ऋतुगीत गा
बदरा-बिजुरी ने
ढाया ग़ज़ब।
2
मेघ साँवरे
बरसे जमकर
हँसें फुहारें।
3
मिटी तपन
ओर -छोर डूबके
धरा नहाए ।
4
ठंडी औ भीगी
फर्र-फर्र हवाएँ
प्रीत जगाएँ।
5
गिरीं बौछारें
झुलसी दिशाओं की
देह सँवारें।
6
चहक फिरे
चिरैया आँगन में
पंख भिगोए।
7
बदल गए
रंग आबो-हवा के
स्वप्न हमारे।
8
घटा के पाँव
बजी पाजेब बूँदें
छनछनाईं।
9
भीगी फुहारें,
संग लाया सावन
सोंधे त्योहार।
10
सावन फूले
रक्षाबंधन तीज
मेहँदी झूले।
11
उठे हिलोर
छिड़े पुराने तार
याद झंकार।
12
सावन लाए
पीहर की स्मृतियाँ
जी महकाए।
13
वर्षा संदेसा
‘बिटिया लिवा लाओ
भैया को भेजो।’
-0-