भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कई कच्चे-पक्के घरों की बाहरी दीवारों पर / रमेश पाण्डेय
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:00, 8 अक्टूबर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश पाण्डेय }} कई कच्चे-पक्के घरों की बाहरी दीव...)
कई कच्चे-पक्के घरों की बाहरी दीवारों पर
गेरू से चित्र बने हैं
केले के पेड जिनमें कई घार केले लटके हैं
फहरते सिक्केदार पंखों वाले नाचते मोर
दो गोल पत्तियों वाले खिले-अधखिले कमल के फूल
भाला लिए दरवाज़ों के दोनों तरफ़ तने दरबान
यह कोई ज़रूरी नहीं कि घरों के नाम हों ही
लिहाजा इन घरों पर कोई नाम
दर्ज़ नहीं है
व्यक्तियों के नाम घरों के नाम हैं