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अंग देव / भाग 1 / अमरेन्द्र

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”सौंसे देश रोॅ माता गे गंगा हम्में तोरा गोड़ेॅ लागौं गे माय
माय सैंसे देशोॅ के पाप बटोरी केॅ तोंही दहाबैं गे माय
तोंही विष्णु रोॅ चन्द्रनखौॅ में बसलोॅ छै अमरित रं गे माय
माय ब्रह्मा जी रोॅ कमंडलु में तोंही सुहाबैं गे माय
भोले शिव रोॅ जटा में मैया तोहरोॅ शयन बिछौना आगे माय
माय ममता माया रोॅ खान हृदय छौ छलछल तोहरोॅ गे माय
तोंही अलकनंदा कहलाबैं सरंगोॅ में विष्णुपदी तोंही गे माय
माय तोहरे धार अधोगंगा पाताल में लहरौ गे माय
भागरथी होय केॅ तोंही माता ई लोकोॅ में विराजै छै गे माय
माय पूत संसार रोॅ साठोॅ हजार केॅ जीव दै वाली गे माय
जखनी ऋषि रोॅ शाप भभकलै तमतम हुनकोॅ तन-मन आगे माय
माय तखनी तोहरो हृदय पिघललौ छलछल करतेॅ गे माय
प्रेमेवश नी भागरथी रोॅ पीछू-पीछू धरती ऐलैं गे माय
माय एकेक करी केॅ स्वर्ग दिलैलैं शापित वसु केॅ गे माय
गंगोत्री सें निकली केॅ मैय्या अंग होलेॅ तोहें बहलोॅ जांय गे माय
माय बीचोॅ में हरिद्वार-काशी के आशीष देलेॅ गे माय
गे हिमवान रोॅ बेटी मैय्या तोंही मलिन कैहनें आय छै गे माय
माय अंग-अंग तोरोॅ जेठोॅ सें जरलोॅ जीरी लागै गे माय
वसन-केश बैशाखोॅ रोॅ माता विन्डोबोॅ रं लहरौ आगे माय
माय कौनी दुख सें औला-बौला तोहरोॅ प्राण गे माय
आँख लगौ सुखलोॅ झीलोॅ में जरलोॅ कमल मुरझलोॅ आगे माय
माय रौदी सें जेना शिरीष हुवै छै घोर मलिन अ गे माय
जेना धनकटनी रोॅ बादे सुन्नोॅ-सुन्नोॅ खेत लगै छै गे माय
माय बिततै मास आषाढ़ दिखाबै जों आम वनोॅ आगे माय
जेना पूतहीन होय माता लागै ओहने दिखाबैं छै गे माय
माय विनती अरज करौं तोरा सें गोड़ छुवी केॅ गे माय
अग-जग देव, पितर-नर सभ्भे रोॅ तोंही सत रोॅ मैय्या गे माय
माय कोनी रे कारण तोहरोॅ दपदप मुख छौ मलिन आगे माय“
”कहियो किये तोरा सें हम्में आपनोॅ दुख शिवलाल रे लाल
लाल छेदै हमरोॅ देह प्राण सब निठुर बहेलियां रे लाल
माय कहै हमरा केॅ आरो हमरै रोज रुलाबै छै रे लाल
लाल छीनै रोज जिया-जानोॅ केॅ निठुर बहेलियां रे लाल
हमरोॅ पूत बड़ी सोझोॅ रे बड़ी निबोलिया मैंने रं रे लाल
लाल येहेॅ लेली सब केॅ लड़ाबै निठुर बहेलियां रे लाल
हम्में आंखी सें देखौ रोजे पूत-धिया केॅ टौव्वतेॅ रे लाल
लाल झपटी लै छै टुटली मड़ैया निठुर बहेलियां रे लाल
बेटी, बहू नै शील बुझै छै हकहक बेटी कबूतरे हेनोॅ रे लाल
लाल मैय्यो रोॅ लाज नै बूझै आबेॅ निठुर बहेलियां रे लाल
जो-जो रे शिवलाल रे पूता कहीं दियैं ई कोशी केॅ रे लाल
लाल कुछुवे नै बूझे केकरौ आबेॅ निठुर बहेलियां रे लाल
झमकली-झमकली आबै आबेॅ ई सन्देश सुनैइयै तोहें रे लाल
लाल हमरा आबेॅ बड़ी सताबै निठुर बहेलियां रे लाल
छीनै नै छै अन्ने पानी कौरो मूं रोॅ लुचकी लै रे लाल
लाल जोतलो खेत केॅ छीनी लै छै निठुर बहेलियां रे लाल
हमरोॅ बेटा जेठ-बैशाखोॅ में खट्टी-खट्टी केॅ जानो दै रे लाल
लाल तैहियो गल्लोॅ केॅ रेतै छै ई निठुर बहेलियां रे लाल
मरि-मरि केॅ उपजाबै धनमां, गेहुमां आरो मकइयो रे लाल
लाल मेहनत रोॅ सब हीरा लूटै निठुर बहेलियां रे लाल
हमरोॅ बेटा घाँटोॅ-कोदोॅ साग-पात पर जीव खेपै छै रे लाल
लाल खलिया पेट भरेॅ नै दै छै निठुर बहेलियां रे लाल
तांही लेली हम्में रे पूता लागौं खिन्न सदोखिन रे लाल
लाल बैन, नैन आरो चैन छिनलकौ निठुर बहेलियां रे लाल
ओर नै दीखै छोर न दीखै हमरोॅ विपद पहाड़े रं रे लाल
लाल गोदी रोॅ पूत छिनी लै हमरोॅ निठुर बहेलियां रे लाल
हमरोॅ पूत निबोलिया रोॅ लेहू हमरेॅ पेॅ छिड़की हांसै छै रे लाल
लाल पूत-कपूत केॅ सार्थक कैलकै निठुर बहेलियां रे लाल
एतनै टा शिवलाल रे बेटा कहियैं जाय कोशी केॅ रे लाल
लाल दीदो रोॅ कोखियो तांय उजाड़ौ निठुर बहेलियां रे लाल“
माय रो वचन सुनी केॅ बोलेॅ लागलै शिवलाल हेना के गे माय
माय तोहरोॅ गोड़ छुवी केॅ कहि छौं हमरी सुनी ले गे माय
आकुल नै तोहें हुवैं गे माता, नै तेॅ बुलाबै कोशी मइये गे माय
माय औला-बौला होय केॅ नै तोहें प्रलय बुलाबै गे माय
बेटा के रहतें आंखी सें तोहरोॅ लोर जरी जों डरकै छै गे माय
माय हमरोॅ रं नै तीनोॅ लोक में पापी कहैतै गे माय
औला-बौला होय केॅ गे तोहें कोशी मैया बुलाबैं नै गे माय
माय रखिये देतै नीपी-पोती केॅ सौंसे अगे गे माय
कहियो कुछुवे नै होतै मैय्या जों ऊ झमकली ऐलै गे माय
माय घिरतै सौंसे दीरोॅ में परलय रात अन्हरिया गे माय
सगे संग बहेलियो के तोहरो मैंना, कबूतर बचतौ की गे माय
माय जेकरोॅ लेली तोहैं एत्तेॅ खिन्न लगै छै गे माय
औघड़ के थानोॅ रं लागतै सौंसे अंगे हरिहर ई गे माय
माय कोशी मांय गुस्सा सें हिन्नेॅ जों पांव रखलकौ गे माय
आशिष मिलै जों तोहरोॅ गे हमरा लौं सकल्प नया अभिये गे माय
माय निठुर बहेलिया रोॅ बोलिया उड़तै जालो में बंधतै गे माय
तोहरोॅ मैना, सुगना रोॅ डैना जे निरदैयां तोड़ै छौ गे माय
माय ओकरोॅ हाथ नै होतै आय सें सत्य कहौं आगे माय
आशीष मिलै गे मैय्या तोहरोॅ विपदा हरै लेॅ चाहै छी गे माय
माय ताकत तोहैं हमरोॅ प्राण में एतनै भरी दै गे माय
एतनै आग भरै कि तोहरोॅ जे-जे पूत निबोलिया छौ गे माय
माय बिल्हियै घुमि-घुमि हम्में बैहनोॅ आगिन केरोॅ गे माय
तोहरोॅ निर्मल नीर गे माता माय-दूधोॅ रं अमरित छो गे माय
माय रुय्यो सें गुलगुल तोहरोॅ गोदी खेत-बहियार गे माय
तोहरोॅ पूत सें लेलकौ जौनें खेत-जमीनमां कोड़लोॅ बुनलोॅ गे माय
माय बेदखली जें कैलकी पूता केॅ जेकरोॅलेॅ कानै गे माय
आशीष मिलै दखल ऊ करी केॅ सौंपियै तोरोॅ पूत सिन केॅ गे माय
माय कानें तोहें नै कानतौ आय सें बेटा एक्को गे माय
देखबै केना केॅ छीनी लै छै कोड़लोॅ बुनलोॅ जमीनमो केॅ गे माय
माय देखबै केना केॅ काटी लै छै उगलोॅ फसल केॅ गे माय
देखबै केना केॅ छीनी लै छै कोॅर मुंहोॅ सें; देखनै छै गे माय
माय हम्मू नै बैठी रहबै आबेॅ चूड़िया पिन्ही केॅ गे माय
आशीष मिलै गे तोहरोॅ हमरा तोहरोॅ धिया बनैइयौ गे माय
माय काली, दुर्गा, शीतला, बिहुला यहू सें बढ़ी केॅ गे माय
आरो पूत बनैइयौ गे माता बिकरम राजा कर्णे र गे माय
माय जेकरोॅ डरोॅ सें इन्नर रोॅ इनरासन डोलै गे माय
जे निरदैयां रुलाबै तोहरोॅ बेटा निबोलिया ओकरोॅ लेॅ गे माय
माय आशीष दे कि उतरै हमरा में कोशी उफनलोॅ गे माय
आशीष मिलै गे भारत भरी के पूत-सपूत के निर्मल मैइयो गे माय
माय कूच करै के आबेॅ दै आदेश उदासी गे माय
तोहूरोॅ होय्यौ बेटा नै हम्में भूत बनी केॅ भटकथै रहियै गे माय
माय पूत लिबैय्या केॅ हम्में जों नै लै लेलियै गे माय
लागै देहोॅ में उमड़ै छै मैया कोशी मांय हिलकोरोॅ दै छै गे माय
माय गोड़ लागौ तनियो टा देरी आबेॅ नै भावै गे माय
दैतोॅ रोॅ पिंजड़ा सें सुगा केॅ लानियौं तेॅ पूत कहलाबौं गे माय
माय साल-जुगोॅ रोॅ बात नै करियौ माह-दिनोॅ में गे माय
सुगना केॅ देखी लहरैतै फेरु धान, मकइया, गेहूं आगे माय
माय ओहने लहरैतौ सब धिया-पूता खलखल तोहरोॅ गे माय
देखतै दुनियां बैठलोॅ सुतलोॅ हरखित होय अचरज सें गे माय
माय ऊ दिन केन्होॅ सोन्होॅ-सोन्होॅ अंग महकतै गे माय
होतै कहीं नै बाज-बहेलिया सुगना रोॅ डैना कतरै वाला गे माय
माय चुनमुन शोर चिरैयां करतै गोदी में फुदकी गे माय
महारातो सें बढ़लोॅ चढ़लोॅ रात अन्हार में तोहरोॅ लेली गे माय
माय टुसटुस लाल अढ़हुले नांखी भोर लै ऐबौ गे माय
लौटी केॅ अइयौ न अइयौ ऐतौ खबर जरुरे मानें गे माय
माय फागुन रोॅ फगुनाहट लेलेॅ ऐतौ बिहान गे माय
हरा-हा आंचर में तोरोॅ लाल सुरुज रोॅ फुदना शोभतौ गे माय
माय रोज चाँद आबी केॅ तोंहरोॅ गोड़ दबैतौ गे माय
खेत-खेत पर दखली करि केॅ जलदारी पर कब्जा करबै गे माय
माय तोहरोॅ पानी मुक्ति दै आरो तोंही नै मुक्त गे माय
माय केॅ जौनें खरीदै-पापी, बेचै जौने-कलकी ओतनै गे माय
माय तोरोॅ नीर दूषित जे कैलको ऊ अपराधी गे माय
धूल-धूल केॅ मुक्त करबौ बूंद-बूंद केॅ मुक्ति देबौ गे माय
माय सांस-सांस लहरैतौ तोहरो लहरे जकां गे माय
देरी करै नै आशीष दे गे आदेश हमरा गंगा गे माय
माय खलखल लहू करै छै कोशिये माय रं हमरोॅ गे माय“
आपनोॅ बेटा रो वचन सुनी केॅ बोललै हर खेत होय केॅ आरे लाल
”लाल हमरो हृदय कहै नै, नै तेॅ मोॅन ही मानै रे लाल
माय रोॅ मोॅन तेॅ जग जानै छै वै पर तोहरोॅ हेनोॅ पूत रे लाल
लाल तोहरोॅ वचन सुनो केॅ हमरोॅ गदगद मोॅन रे लाल
आशीष तोरा हमरोॅ रे कोखी के जानो से प्यारोॅ हमरोॅ रे लाल
लाल निरदय रोॅ बीचोॅ में कोशिये रं तोहें लहरो उफनोॅ रे लाल
हमरोॅ की कोखी रोॅ बेटा धरती के जौनें कष्ट हर नै रे लाल
लाल रोकबौं नै तरा नै तेॅ बुलैब आबैॅ वोशी रे लाल
हमरोॅ छाैं आदेश र बेटा आशीष छौं परयान करोॅ रे लाल
लाल रखियोॅ माय रोॅ लाज समेटी केॅ डूबेॅ नै दियो रे लाल
आशीष तोरा हमरोॅ रे बेटा जब तांय हम्में पुजाबौं जग में रे लाल
लाल तोरोॅ अंग देव कहीं केॅ ई अग-जग पूजौं रे लाल“
आशीष लं आदेश पाबि केॅ चललै हर्षित हरखित होलेॅ हो जान
जान द्वारिये ठाड़ी पांव लागी केॅ तिरिया बोललै हो जान
”अजगुत एक सपन देखलेॅ छी हम्में नीनोॅ में सच्चे कहौं हो जान
जान देखलौं तोरा जंगलबे जंगलवा में रातें तोरा हो जान
स्वामी जी ई देखलौं कि तोहें घोड़बा पे चढ़लोॅ चल्लोॅ जा हो जान
जान कान्हा पेॅ साजी भाला, फरसा आरोॅ कुल्हाड़ी हो जान
कभियो हांकोॅ कोनो दिस तेॅ कभियो हांकोॅ कोनो दिस हो जान
जान कुछुवे नै बुझलौं ई रूपोॅ में अरथ की भेलोॅ हो जान
कैन्हें देलौ सपना हो स्वमी जी हेनोॅ हकहक अभियोॅ हमरोॅ हो जान
जान देखलौ कि घोड़वा पीछू लाखो लोग चलै छै हो जान
हाहाकार मचाबै कही छोॅ आरो हास-हुलास कहीं पेॅ हो जान
जान आगिन-पानी रो बरसा करने चल्लोॅ जाय छोॅ हो जान
आरु फेरु देखलौं कि तोहें फूल परासोॅ रोॅ जंगल में हो जान
जान छुपिये जे गेलौ कैलौ हमरा बड्डी उदास हो जान
खोजथैं रैल्हों दिन-रात तोहरा रातो रात महीनो तक हो जान
जान तोहें फूल परासोॅ रोॅ पीछू सें हंसतै रैल्हौ हो जान
तिरिया केरोॅ सपना सुनी केॅ मुस्की बोललै अंगो देव हे जान“
जान बोलले कि ”तिरिया हे सच कोरबे सब देखलौ तोहं हे जान
हौ जे मरद-जनानी देखलौं हम्मों-तोहीं तोहरे रं हे जान
जान हमरोॅ कल के साथी होतै गोय्यां हमरोॅ हे जान
संगे संग जे रैल्हा हे तिरिया आबेॅ तेॅ दूर-दूरे होभौं हे जान
जान मिलबोॅ पैड़वा चाने रं आबेॅ तेॅ होतौं हमरोॅ हे जान
हौ जे वोॅन परासोॅ रोॅ देखलौं ओकरे लेॅ हम्में बेकल छी हे जान
जान लानी फुल परासोॅ रोॅ टांगियौं खोपोॅ में तोहरोॅ हे जान
ओकरोॅ रंगोॅ सें एड़ी रंगैय्यौं हम्में तोहरोॅ जाबॅ देॅ हे जान
जान लानियै फूल परासोॅ रोॅ संग-संग हेकरोॅ रितुओ हे जान
बारहो मास खिलै ई घर-घर माँगी, मुंसा, बुतरु, बूढ़ो हे जान
जान हेकरे रंगोॅ सें चोली, कुरता, धोतियो रंगतै हे जान
रोजे रोज वसन्ते, होरी, फगुआ, चैता, झुम्मर झुमटा हे जान
जान होतै, कहोॅ तेॅ लानै लेॅ जइयौं फूल परास हे जान“
”तोहरोॅ हिरदय रोॅ बात हे स्वामी जी समझी गेलियौं सब्भे ठो हे जान
जान केना केॅ राबियै तोरा आबेॅ पापे नी लागतै हे जान
राजी-खुशी सें जाय छोॅ हो स्वामी जी ऐयोॅ होनै हरखलोॅ अहे जान
जान लानियोॅ फूल परासोॅ रोॅ खोचोॅ भरी-भरी लेबै हे जान
रंगबै चोली, साड़ी, साया, मांगोॅ रगबै आपनोॅ हे जान
जान रंग परासोॅ सें रंगलोॅ नाचबै घूमी-घूमी केॅ हे जान
तोहरोॅ फूल लानलोॅ हे स्वामी जी ऐंगना रोॅ तुलसी पे राखबै हे जान
जान माथोॅ-छाती सें राखबै सटाय केॅ तोहरे रं हे जान