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मैंने पलाश की एक डाली हिलाई
 
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तुम मर मिटे
 
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मैं चुपचाप निरखती रही
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17:35, 21 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

मैंने पलाश की एक डाली हिलाई
और झर गया मेरी गोदी में
अथाह सौंदर्य!
तुम मर मिटे
पुरुष हो!
मैं चुपचाप निखरती रही
सुगंध तलाशती रही
स्त्री हूँ न!