भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अंदर का शोर अच्छा है थोड़ा दबा रहे / सलमान अख़्तर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अंदर का शोर अच्छा है थोड़ा दबा रहे
बेहतर यही है आदमी कुछ बोलता रहे

मिलता रहे हंसी ख़ुशी औरों से किस तरह
वो आदमी जो खुद से भी रूठा हुआ रहे

बिछुडो किसी से उम्र भर ऐसे कि उम्र भर
तुम उसको ढूंढो और वो तुम्हें ढूंढता रहे