भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अंधा-बहरा भगवान / असंगघोष

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वे छोटे-छोटे बच्चे
खेल रहे थे
सितोलिया

कपड़े की गेंद बना
पुराने खण्डहरनुमा मन्दिर के पास
एक पर एक
सात पत्थर जमा
फोड़ते
सितोलिया
मारते गेंद
एक दूसरे पर तान
बार-बार जमाते और फोड़ते
सब भूलकर अपनी जात
मंदिर के इर्द-गिर्द
दौड़ रहे थे चिल्लाते
एक का निशाना चूका
गेंद गई जीर्ण-शीर्ण मंदिर में
वह भी पीछे-पीछे गया खोजने
वहाँ बैठा था
मोटी तोंद लिए
चोटीवाला एक पुजारी
उससे सहा नहीं गया
एक अछूत का
अनायास मन्दिर में घुस आना
जहाँ था
वह और उसका भगवान
पंडित ने
उस बालक को
मारा डण्डे से
किया लहूलुहान
उस रोते अबोध बालक को बचाने
वहाँ क्यों प्रकट नहीं हुआ
भगवान
अंधा-बहरा