भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अकाल और उसके बाद / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
~*~*~*~*~*~*~*~  
 
~*~*~*~*~*~*~*~  
  
  कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास  
+
कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास  
 +
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास 
 +
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
 +
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त ।
  
  कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास 
+
दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद  
 
+
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद  
  कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
+
चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद  
 
+
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद ।  
  कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त ।
+
 
+
 
+
 
+
    दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद  
+
 
+
    धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद  
+
 
+
    चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद  
+
 
+
    कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद ।  
+
  
 
   1952
 
   1952

13:59, 11 सितम्बर 2008 का अवतरण

कवि: नागार्जुन


~*~*~*~*~*~*~*~

कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त ।

दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद ।

  1952