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"अकेले हैं वो और झुंझला रहे हैं / ख़ुमार बाराबंकवी" के अवतरणों में अंतर
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अकेले हैं वो और झुंझला रहे हैं | अकेले हैं वो और झुंझला रहे हैं | ||
− | मेरी याद से जंग | + | मेरी याद से जंग फ़रमा रहे हैं |
इलाही मेरे दोस्त हों ख़ैरियत से | इलाही मेरे दोस्त हों ख़ैरियत से | ||
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बज़ाहिर जो बरहम नज़र आ रहे हैं | बज़ाहिर जो बरहम नज़र आ रहे हैं | ||
− | ये कैसी | + | ये कैसी हवा-ए-तरक्की चली है |
− | + | दीये तो दीये दिल बुझे जा रहे हैं | |
− | + | बहिश्ते-तसव्वुर के जलवे हैं मैं हूँ | |
जुदाई सलामत मज़े आ रहे हैं | जुदाई सलामत मज़े आ रहे हैं | ||
बहारों में भी मय से परहेज़ तौबा | बहारों में भी मय से परहेज़ तौबा | ||
'ख़ुमार' आप काफ़िर हुए जा रहे हैं | 'ख़ुमार' आप काफ़िर हुए जा रहे हैं | ||
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19:11, 12 दिसम्बर 2009 का अवतरण
अकेले हैं वो और झुंझला रहे हैं
मेरी याद से जंग फ़रमा रहे हैं
इलाही मेरे दोस्त हों ख़ैरियत से
ये क्यूँ घर में पत्थर नहीं आ रहे हैं
बहुत ख़ुश हैं गुस्ताख़ियों पर हमारी
बज़ाहिर जो बरहम नज़र आ रहे हैं
ये कैसी हवा-ए-तरक्की चली है
दीये तो दीये दिल बुझे जा रहे हैं
बहिश्ते-तसव्वुर के जलवे हैं मैं हूँ
जुदाई सलामत मज़े आ रहे हैं
बहारों में भी मय से परहेज़ तौबा
'ख़ुमार' आप काफ़िर हुए जा रहे हैं