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"अगर चांद मर जाता / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

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अगर चाँद मर जाता<br>
 
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झर जाते तारे सब<br>
 
झर जाते तारे सब<br>

23:28, 1 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

अगर चाँद मर जाता
झर जाते तारे सब
क्या करते कविगण तब?

खोजते सौन्दर्य नया?
देखते क्या दुनिया को?
रहते क्या, रहते हैं
जैसे मनुष्य सब?
क्या करते कविगण तब?

प्रेमियों का नया मान
उनका तन-मन होता
अथवा टकराते रहते वे सदा
चाँद से, तारों से, चातक से, चकोर से
कमल से, सागर से, सरिता से
सबसे
क्या करते कविगण तब?
आँसुओं में बूड़-बूड़
साँसों में उड़-उड़कर
मनमानी कर- धर के
क्या करते कविगण तब
अगर चाँद मर जाता
झर जाते तारे सब
क्या करते कविगण तब?