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"अगर सूरत बदलनी है / कृष्ण शलभ" के अवतरणों में अंतर
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17:45, 14 जून 2011 के समय का अवतरण
अगर सूरत बदलनी है तो फिर ये सोचना कैसा
चलो आगे बढ़ो, पीछे को मुड़कर देखना कैसा
हवा आने दो ताज़ा, खोल दो सब खिड़कियाँ घर की
हवा पे सबका हक है, यों हवा को रोकना कैसा
ये बच्चे नासमझ हैं, बद्दुआ देना नहीं अच्छा
अरे छोड़ो मियाँ, इस उम्र में ये बचपना कैसा
ये दुनिया प्यार के बिन तो बड़ी बेकार लगती है
'शलभ' उट्ठो, यहाँ अब और ज़्यादा बैठना कैसा!