भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अडोळौ उच्छब / रेंवतदान चारण" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेंवतदान चारण |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:44, 8 मई 2019 के समय का अवतरण

आजादी रौ उछब अडोळौ
जग झूठी झणकारां सूं
आज नूंवै दिन बिलखी लागै
धरती वार तिंवारां सूं
कूड़ा कोड करै कितरा दिन
कद तक झूठा मन बिलमावै
नैणां नीर बिखै रा बरसै
गीत खुसी रा कीकर गावै
दिन दूणा नै रात चौगणा
भाव धड़ाधड़ बधता जावै
ऊभौ धरती मिनख बापड़ौ
आभै कीकर हाथ लगावै
माथौ दियां मिळै नीं चीजां
हुयगी लोप बजारां सूं
आजादी रौ उछब अडौळौ
जग झूठी झणकारां सूं
आज नुंवै दिन बिलखी लागै
धरती वार तिंवारां सूं

बरसा बरसी बणै योजना
पूंजी रौ बंटवाड़ौ चावै
बात करै नित बरोबरी री
भोळी जनता नै बिलमावै
 समाजवाद री जै बोलणिया
चारूं कांनी लूट मचावै
दूजा नै उपदेस देवता
धन धरती रौ खुद खा जावै
सावचेत हुय रैणौ पड़सी
यां नकली उणियारां सूं
आजादी रौ उछब अडौळौ
जग झूठी झणकारां सूं
आज नूंवै दिन बिलखी लागै
धरती बार तिंवारां सूं