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"अनमने दिन / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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दिन बीते
 
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रीते-रीते
 
रीते-रीते

12:55, 3 अगस्त 2009 का अवतरण

दिन बीते रीते-रीते इन सूनी राहों पे

मिला न कोई राही बना न कोई साथी वन सूखे चाहों के

याद न कोई आता न मन को कोई भाता घेरे खाली हैं बाहों के

कलप रहा है तन जैसे भू-अगन दिन आए फिर कराहों के


(रचनाकाल : 2005) </Poem>