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"अनमने दिन / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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दिन बीते
 
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रीते-रीते
 
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इन सूनी राहों पे
 
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मिला न कोई राही
 
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बना न कोई साथी
 
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वन सूखे चाहों के
 
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याद न कोई आता
 
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न मन को कोई भाता
 
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घेरे खाली हैं बाहों के
 
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कलप रहा है तन
 
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जैसे भू-अगन
 
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20:42, 26 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

दिन बीते
रीते-रीते
इन सूनी राहों पे

मिला न कोई राही
बना न कोई साथी
वन सूखे चाहों के

याद न कोई आता
न मन को कोई भाता
घेरे खाली हैं बाहों के

कलप रहा है तन
जैसे भू-अगन
दिन आए फिर कराहों के


(रचनाकाल : 2005)