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"अनुपस्थिति / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर

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22:20, 11 जून 2009 का अवतरण

यहाँ बचपन में गिरी थी बर्फ़

पहाड़ पेड़ आंगन सीढ़ियों पर

उन पर चलते हुए हम रोज़ एक रास्ता बनाते थे


बाद में जब मैं बड़ा हुआ

देखा बर्फ़ को पिघलते हुए

कुछ देर चमकता रहा पानी

अन्तत: उसे उड़ा दिया धूप ने ।


( रचनाकाल : 1996)