भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अन्तर्सम्बन्ध / रमेश

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
जखन-जखन संसद-भवन दलाल-स्ट्रीटक करैए चर्चा, शेयर-सूचकांक भ’ जाइए एक-सँ-एकैस। मूल्य-तालिका पर उठि जाइए, अरब सागरक। जुआरि इथोपियाक नर-कंकाल गाम-शहरमे बूल’ लगैए-अष्टावक्र-अष्टावक्र। आ भनसाघरस। स्नान-घर धरि प्रेतनी जकाँ बजार हुलक’ लगैए। जखन-जखन पछबा हावा आ उच्च तापमान आक्रान्त करैए गाम-नगरकें, कोनों पाश्चात्य-सुन्दरीक गालक भूर बनि जाइए-रौदी मरड़क हाफक जेबीवा मार्चक बजट में। जखन-जखन कोनो नवकी कम्पनीक असंख्य शेयर अट्टहास करैए डायनाासेर जकाँ, मायावी पर्दा पर बम फूट’ लगैए करिश्मा कपूरक ओढ़नी सँ आ माइकेल जैक्शन पोने पर तबला पीट’ लगैए डम्फा जकाँ। निर्वस्त्र सूर्य-स्नान सँ जुहू-बीच आ गोआ-बीच नेहाल भ’ उठैए।
जखन-जखन विधान-सभा दण्ड पैलैए मुसरी जकाँ, मुद्रा-स्फीति फूलि जाइए ढाबुस जकाँ आ मांग-पूर्तिक सरल-रेखा बनि जाइए मूल्य-तालिकाक वक्र-रेखा। तखन-तखन जम’ लगैए साँप-सीढ़ीक लूडो-लूडो। गहूमके गीड़ि जाइए साँप आ मूल्य सीढ़ी चढ़ि क’ पहुँचि जाइए स्वर्गक बजार। जखन-जखन उदार होइए डॉलर-पॉण्ड, कोनो फुलाइत भूखण्डक नाँ पड़ैए तेसर दुनियाँ आ ओकर माथ रप चमचमाए लगैए विश्व-सुन्दरीक
राजमुकुट। ओकर ऐंठल अँतड़ी के कैडबरी चाट’ लगैए आ कपोतग्रीवा के चिलमग चूस’ लगैए। जखन-जखन.....जखन-जखन...जखन-जखन...एक आवश्यक सूचना: उपर्युक्त सभ वक्तव्य कोनो टा संयोग नहि थिक।