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"अन्तर में अनुराग / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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हम टकराकर घायल होंगे, उसको बदल न पाएँगे ।।
 
हम टकराकर घायल होंगे, उसको बदल न पाएँगे ।।
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तेरे नयनों के मन्दिर में,घी के दो-दो दीप जले।
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तेरे अधरों पर संझा की,मधुर आरती खूब फले।।
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सुरभित होता कोना-कोना, तेरे  इस चन्दन -तन से
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साँसों में मलयानिल  डोले,अन्तर में अनुराग पले।
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01:17, 7 जनवरी 2020 के समय का अवतरण

1
तेरे नयनों के मन्दिर में,घी के दो-दो दीप जले।
तेरे अधरों पर संझा की,मधुर आरती खूब फले।
सुरभित होता कोना-कोना, तेरे इस चन्दन -तन से
साँसों में मलयानिल डोले,अन्तर में अनुराग पले।
2
शब्दों की हत्या कर देंगे,कुछ भी अर्थ निकालेंगे।
कलुषित मन के भाले पर वे,सबके शीश उछालेंगे ।।
भले पूँछ अपनी जल जाए, इसकी चिन्ता कब उनको,
जिनके घर में खुशियाँ देखीं,अंगारे वहाँ डालेंगे।।
3
पास हमारे सिर्फ़ दुआएँ,शाप कहाँ से लाएँगे।
वे काँटों को सदा सींचते ,कैसे फूल बिछाएँगे
पत्थर से हमने चाहा था,फ़ितरत अपनी बदलेगा,
हम टकराकर घायल होंगे, उसको बदल न पाएँगे ।।